सिटी डेस्ट।
‘कतार बड़ी लंबी थी, के सुबह से रात हो गयी,
ये दो वक्त की रोटी आज फिर मेरा अधूरा ख्वाब हो गयी’
कोरोना के लॉकडाउन में अमीर लोग अपनी फैक्ट्री व धंधे की चिंता में डूबे है और मध्यम वर्ग अपनी बचत से काम चला रहा है। लेकिन एक ऐसा वर्ग भी है जिसकी भूख ने उसे सड़क पर खड़ा कर दिया है। सुबह से रात और फिर रात से सुबह तक केवल रोटी का इंतजार रहता है। लोग भोजन के लिए दिनभर कतार में लगे रहते है।
ऐसा ही नजारा शहर के हरमाड़ा में अनोखा गांव रोड पर नजर आया। तपतपाती धूप में लोग सुबह से ही खाने के लिए कतार लगा लेते है। यहां पर अक्षय पात्र फाउंडेशन की गाड़ी 200 खाना पैकेट बांटने आती है। पहले आओ पहले पाओं की मशक्कत में लोग भूखे ही रह जाते है। ऐसे में लोग गाड़ी जाते ही अगली कतार लगा लेते है। अब आपको तस्वीर दिखाते हैं जिसमें सड़क के किनारे कतार में थैला खाली कट्टा कपड़ा या अन्य वस्तु दिखाई दे रही है। सड़क पर पड़े इन वस्तुओं को देखकर समझ में आता है कि कोरोना को रोकने में सोशल डिस्टेनसिंग कितनी जरूरी है। दरअसल भोजन पैकेट की गाड़ी आने से काफी समय पहले लोग सड़क पर लाइन लगा लेते हैं । इधर धूप तेज होने के कारण लोग अपने थैले कटे या कपड़े को सड़क पर रखकर साइड में खड़े हो जाते हैं। छाया में खड़े रहने के दौरान लोग भले ही सोशल डिस्टेनसिंग का पालन नहीं करें , लेकिन खाने के पैकिट लेते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर कर रहे हैं। ऐसे में राज्य की मंडियों और दुकानों पर उमड़ने वाली भीड़ को इनसे सीख लेना होगा।
तपती सड़क पर खाली ‘पेट’ भरने के लिए कतार में लगे खाली ‘बर्तन व थैले’
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