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Morgan Howen

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बिजली का हाइटेंशन तार गिरने से हुई थी गर्भवती महिला की मौत, अब जिम्मेदार इंजीनियरों को बचाने में लगा डिस्कॉम प्रबंधन

पावर डेस्क।
प्रदेश की बिजली कंपनियों का प्रबंधन व इंजीनियर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेशों की भी परवाह नहीं कर रहे है। मुख्यमंत्री ने पिछले ही सप्ताह ऊर्जा विभाग व डिस्कॉम के अफसरों की मीटिंग लेकर लोगों की समस्या के समाधान व संवेदनशीलता से काम करने की हिदायत दी थी। लेकिन विश्वकर्मा रोड नं. 17 की जेडीए कॉलोनी में तीन दिन पहले 11 केवी हाइटेंशन बिजली तार के गिरने से गर्भवती महिला के मामले में जिम्मेदार एईएन अशोक गुप्ता व जेईएन राकेश मेहरा के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए प्रबंधन इन्हे बचाने में जुट गया है। डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता एसके राजपूत ने सर्किल के अफसरों की जांच कमेटी बना दी। जांच के नाम पर पूरे मामले में लीपापोती की जा रही है। कमेटी में एक्सईएन हरीश मंगल, कार्मिक अधिकारी व बिजली चोरी थाने के एसएचओ शामिल है। अब पूरे मामले को दुर्घटना स्थल से 200 मीटर व तीन पोल दूर पार्क में काम कर रहे जेसीबी चालक को जिम्मेदार बताते हुए रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
करंट से दो मौत, फिर भी विजिलेंस से जांच नहीं :
बिजली तार गिरने से महिला व उसके गर्भ में पल रहे 8 माह के बच्चे की मौत हुई है। लेकिन सरकार व प्रबंधन ने पूरे प्रकरण में असंवेदनशीलता दिखाई है। लोगों का सवाल है कि जब छोटे छोटे प्रकरणों की जांच विजिलेंस विंग में करवाई जाती है तो इस प्रकरण की जांच आरोपी एईएन व जेईएन के साथी इंजीनियरों व अधिकारियों को ही क्यो दी? लोगों ने विजिलेंस विंग के डिप्टीएसपी व एक्सईएन स्तर के इंजीनियर से पूरे प्रकरण की जांच करवाने की मांग की है।


मामले में दो तरह की एफआईआर दर्ज :
बिजली करंट से मौत के मामले में विश्वकर्मा पुलिस थाने में दो एफआईआर दर्ज हुई है। मृतक महिला के पति संतोष ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि जेडीए व बिजली निगम की अनुमति के बिना सुनीता स्वामी,अनिता स्वामी, शीला, बानो, जुगल सेन, जितेंद्र सिंह व अशोक पांडे आदि पार्क में अवैध निर्माण करवा रहे थे। इस दौरान जेसीबी से दीवार ट्रांसफार्मर पर गिर गई और ब्लास्ट हो गया। इससे बिजली लाइन उनकी पत्नी पर गिर गई और उसकी मौत हो गई। वहीं एईएन अशोक गुप्ता व जेईएन राकेश नेहरा ने जेसीबी चालक के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दी है। उनका आरोप है कि जेसीबी से दीवार गिर गई। इससे ट्रांसफार्मर का स्टेप वायर में कंपन हुआ और दो पोल दूर बिजली का तार टूट गया।
जेडीए की गलती हुई तो नहीं मिलेगा 5 लाख का मुआवजा :
बिजली सिस्टम के करंट से मौत पर 5 लाख का मुआवजा का नियम है। लेकिन बिजली कंपनी या इंजीनियर या कर्मचारी की गलती होने पर ही मुआवजा मिल सकता है। लोगों की दलील है कि जेसीसी के अधीक्षण अभियंता एसके राजपूत ने एईएन अशोक गुप्ता व जेईएन राकेश नेहरा का बचाव करने लिए एक्सएईन हरीश मंगल को जांच दी है। ताकि एईएन व जेईएन पर कार्रवाई नहीं हो तथा मृतका के परिजनों को मुआवजा भी नहीं देना पड़े।

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