
स्टेट डेस्क. जयपुर
पीएचईडी (जलदाय विभाग) में इंजीनियरों व ठेकेदारों के बीच पावर गेम चल रहा है। जयपुर जिला सर्किल के अधीक्षण अभियंता (एसई) आनंद मीना ने खंड प्रथम में ट्यूबवेल नहीं खोदने पर श्याम एंटरप्राइजेज (नीमेड़ा) को डिबार कर दिया। यानि यह कॉन्ट्रेक्टर अब एक साल तक जयपुर जिला वृत्त में के किसी भी एईएन व एक्सईएन कार्यालय के टेंडर नहीं भर पाएगा। फर्म श्याम एंटरप्राइजेज का मालिक मेवाराम चौधरी प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का खास माना जाता है। विभाग में चर्चा है कि मेवाराम चौधरी की फर्म का पेमेंट नहीं करने पर ही कुछ दिनों पहले सिटी सर्किल उत्तर चतुर्थ खंड के एक्सईएन पवन अग्रवाल को हटवाया था। जबकि अग्रवाल को दूसरे ठेकेदार बीएसआर के मालिक श्रवण पारीक ने यथावत रखने का आश्वासन दे रखा था। बीएसआर फर्म के कॉन्ट्रेक्टर ने भी पहले बिल नहीं बनाने व पेमेंट नहीं करने को लेकर कुछ इंजीनियरों का तबादला करवाया था।
जलदाय मंत्री व कृषि मंत्री आमने सामने:
एक्सईएन के तबादला व ठेकेदार के डिबार होने के बाद जलदाय मंत्री व कृषि मंत्री का निजी स्टॉफ आमने सामने हो गया है। बताया जा रहा है कि एक्सईएन पवन अग्रवाल को यथावत रखने के लिए बीएसआर कंपनी दबाव बनाए हुए थी। जलदाय मंत्री के दफ्तर से कर्मचारियों ने बीएसआर कंपनी के बारे में सीकर विधायक के रिश्तेदार को काम देने व बिल पास करने को लेकर कई फोन किए थे। लेकिन अधीशाषी अभियंता पवन अग्रवाल का ट्रांसफर होने से कर्मचारी नाराज हो गए। इसके बाद कृषि मंत्री के खास माने जाने वाले ठेकेदार मेवाराम चौधरी की कमियां ढूंढने का काम शुरु हुआ और डिबार भी कर दिया। इससे कृषि मंत्री के प्रभाव पर नकारात्मक असर पड़ा है।

