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Morgan Howen

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सत्ता बड़ी या ठेकेदार? कांग्रेस के बगरू विधायक की नहीं सुन रहे PHED के SE आनंद मीना, फिर लगाया 1.75 करोड़ का टेंडर

स्टेट डेस्क।
राजस्थान के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) में इंजीनियर के हौसले इतने बुलंद है कि विधायक की शिकायत के बाद भी टैंकर टेंडर की रेट कम नहीं कर रहे है। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत के जांच करने के निर्देश और कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा की लताड़ के बाद भी बगरू कस्बा में जल परिवहन के लिए 1.75 करोड़ का टेंडर लगा दिया। टेंडर की ज्यादा रेट एक ठेकेदार फर्म का सीधा फायदा देने के लिए रखी गई है। पहले भी उस फर्म का सिंगल टेंडर अप्रूव्ल कर दिया था, लेकिन कलेक्टर ने टेंडर निरस्त कर दिया था। बताया जा रहा है कि टैंकर सप्लाई करने वाली एक फर्म में आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति की साझेदारी है। जल भवन में तैनात एडिशनल चीफ इंजीनियर ने सीएमओ की सिफारिश का बहाना कर उसी फर्म का टेंडर दिलवाने का दबाव बनाए हुए है। जबकि विधायक गंगादेवी ने मंत्री बीडी कल्ला को भी टेंडर रेट एक करोड़ रुपए करने के लिए पत्र लिखा है। विधायक की दलील है कि बगरू क्षेत्र में पाइपलाइन व ट्यूबवेल बनाने के लिए 50 लाख रुपए की योजना स्वीकृत हो चुकी है। ऐसे में टैंकरों से पानी सप्लाई में सरकारी खजाना बर्बाद नहीं किया जाए। टैंकर ट्रिप में फर्जीवाड़ा होता है।
ठेकेदार को फायदा देने के लिए बढ़ा दिए डेढ़ करोड़ :
पिछली साल बगरू में टैंकरों से पानी सप्लाई पर 60 लाख का टेंडर हुआ था। तब कॉन्ट्रेक्टर ने 35 फीसदी कम रेट यानि 39 लाख में ही काम हुआ। लेकिन इस बार इंजीनियरों ने 1.75 करोड़ का टेंडर आमंत्रित किया और यह काम 14 प्रतिशत ज्यादा रेट यानि 2 करोड़ रुपए में देने की तैयारी है। जो कि पिछले साल से डेढ़ करोड़ ज्यादा है।


यह है मामला:
जलदाय विभाग ने 25 जनवरी को बगरू कस्बा में पेयजल सप्लाई के लिए एक करोड़ 75 लाख रुपए का टेंडर आमंत्रित किया। टेंडर 8 फरवरी तक भरे जाने थे, लेकिन ऐनवक्त पर स्थगित कर नई तारीख 19 फरवरी तय हुई। इसी दौरान 16 फरवरी को बालाजी कंस्ट्रक्शन कंपनी का बी से ए श्रेणी में रजिस्ट्रेशन हो गया। ताकि वह टेंडर में भाग ले सके। जबकि फर्म के खिलाफ चारदीवारी क्षेत्र में गड़बड़ी की जांच के बाद चीफ इंजीनियर से डीबार की सिफारिश की थी। लेकिन कॉन्ट्रेक्टर को टेंडर देने के लिए डीबार की फाइल पेंडिंग रखी। पिछली साल बगरू में टैंकरों से पानी सप्लाई पर 60 लाख का टेंडर हुआ था। तब कॉन्ट्रेक्टर ने 35 फीसदी कम रेट यानि 39 लाख में ही काम हुआ। लेकिन इस बार इंजीनियरों ने 1.75 करोड़ का टेंडर आमंत्रित किया और यह काम 14 प्रतिशत ज्यादा रेट यानि 2 करोड़ रुपए में देने की तैयारी है। जो कि पिछले साल से डेढ़ करोड़ ज्यादा है।
कलेक्ट्रेट ने यह उठाएं सवाल :

  • पिछली बार बीएसआर से 35 प्रतिशत कम रेट पर टेंडर दिया था तो इस बार बीएसआर से 14 फीसदी ज्यादा कैसे हो गया?
  • गर्मियों के बावजूद एक फर्म का रजिस्ट्रेशन होने तक टेंडर को स्थगित किस वजह से किया?
  • जब बालाजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को डिबार करने की प्रक्रिया चल रही थी तथा शिकायत होने के बावजूद वर्कऑर्डर क्यो दिया जा रहा है?
  • दूसरी फ़र्मो को किस नियम से टेंडर प्रक्रिया से बाहर किया ?
  • नॉन बीएसआर व बीएसआर आइटम को अलग क्यो नहीं रखा ?

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